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देश के विकास में एल्यूमिनियम उद्योग की भागीदारी महत्वपूर्ण: श्री अभिजीत पति

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बालकोनगर, 26 सितंबर। ‘‘देश के विकास में एल्यूमिनियम उद्योग की भागीदारी महत्वपूर्ण है। भारत सरकार की मेक इन इंडिया, 100 स्मार्ट सिटीज, 100 एएमआरयूटी सिटीज, बिजली की 24 घंटे निर्बाध आपूर्ति, 100 फीसदी ग्रामीण विद्युतीकरण, घरेलू अंतरिक्ष कार्यक्रम, 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता प्राप्त करने जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाने और राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ी भूमिका निभाने के लिए एल्यूमिनियम सेक्टर के पास पर्याप्त क्षमताएं मौजूद हैं।’’ ये उद्गार भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक श्री अभिजीत पति ने 24वें अंतरराष्ट्रीय नॉन फेरस मेटल्स-2020 वेबीनार में व्यक्त किए। वेबीनार में एल्यूमिनियम उद्योग के अनेक विशेषज्ञ मौजूद थे।

‘‘भारत में एल्यूमिनियम उद्योग का भविष्य’’ विषय पर आयोजित सत्र में श्री पति ने एल्यूमिनियम उद्योग की चुनौतियों और देश के विकास में एल्यूमिनियम धातु की भूमिका पर अपने विचार रखे। श्री पति ने कहा कि भारत के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला और पांचवा सबसे बड़ा बॉक्साइट भंडार है। इन संसाधनों के उत्कृष्ट प्रबंधन से देश को दुनिया में सबसे कम उत्पादन लागत वाले एल्यूमिनियम उत्पादक के तौर पर स्थापित करना संभव है। एल्यूमिनियम धातु की गुणवत्ता बरकरार रखते हुए इसे बार-बार रिसाइकल किया जा सकता है जिससे इसे ‘ग्रीन मेटल’ भी कहा जाता है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्टील के बाद एल्यूमिनियम धातु का बड़ा योगदान है। कार्बन फुटप्रिंट कम करने की वैश्विक कटिबद्धता की दृष्टि से भी एल्यूमिनियम महत्वपूर्ण है। देश में आठ लाख से अधिक लोग रोजगार के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से एल्यूमिनियम सेक्टर से जुड़े हैं वहीं 4000 से अधिक डाउनस्ट्रीम उद्योग निरंतर विकसित हो रहे हैं। वैमानिकी, प्रतिरक्षा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिसिटी, निर्माण, पैकेजिंग आदि अनेक उद्योगों में एल्यूमिनियम का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है।

श्री पति ने कहा कि दुनिया के विकसित देशों में एल्यूमिनियम की खपत अधिक होती है। भारत में प्रति व्यक्ति खपत ढाई किलोग्राम के स्तर पर है वहीं वैश्विक औसत 11 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है। चीन में प्रति व्यक्ति 25 किलोग्राम की खपत होती है। कम खपत के बावजूद देश के सकल घरेलू उत्पाद में एल्यूमिनियम का योगदान 2 प्रतिशत है। देश ने वर्ष 2022 तक सकल घरेलू उत्पाद में निर्माण सेक्टर का योगदान 25 फीसदी तक ले जाने का जो विजन तैयार किया है उस दिशा में देश के एल्यूमिनियम उद्योग का योगदान अहम है।

वर्तमान में देश में बॉक्साइट का उत्पादन 22 मिलियन टन प्रति वर्ष होता है जबकि मांग 26 मिलियन टन प्रति वर्ष की है। विस्तार परियोजनाओं से यह मांग प्रति वर्ष 55 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है। बॉक्साइट खान नीलामी प्रक्रिया को अधिक युक्तिसंगत बनाने और बॉक्साइट की खोज में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने से देश के बॉक्साइट उत्पादन में बढ़ोत्तरी की जा सकती है।

श्री पति ने बताया कि चीन, मध्यपूर्व, रूस, कनाडा, नार्वे, आइलैंड जैसी दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने एल्यूमिनियम धातु को दीर्घकालिक रणनीतिक महत्व के धातु के तौर पर वगीकृत किया है। ये देश अपने घरेलू उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बनाए रखने के लिए अनेक सब्सिडी उपलब्ध कराते हैं। उनके लिए कच्चे माल और सस्ती ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है। ऋण और कर ढांचे को एल्यूमिनियम उद्योग के निरंतर विकास के अनुकूल बनाया जाता है। आज देश में ऐसा माहौल तैयार किए जाने की जरूरत है जिससे घरेलू एल्यूमिनियम उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बनाए रखने और आयात घटने की दिशा में मदद मिल सके। यह भी जरूरी है कि एल्यूमिनियम उद्योग के लिए बॉक्साइट और कोयले की पर्याप्त आपूति सुनिश्चित हो। विभिन्न प्रकार की कर दरों को युक्तिसंगत बनाया जाए।

वर्तमान में देश में एल्यूमिनियम की मांग प्रति वर्ष लगभग 4 मिलियन टन है जबकि घरेलू एल्यूमिनियम उद्योगों की कुल उत्पादन क्षमता 4.1 मिलियन टन प्रति वर्ष है। घरेलू उद्योग आसानी से देश की एल्यूमिनियम की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। बावजूद इसके देश की कुल जरूरत का 60 प्रतिशत एल्यूमिनियम आयात किया जाता है। प्राइमरी एल्यूमिनियम और स्क्रैप के मामले में देश पर्याप्त रूप से सक्षम है फिर भी भारत में स्क्रैप का 100 फीसदी आयात किया जाता है। इससे घरेलू उद्योगों की भागीदारी कमजोर होती है।

ट्रेड वार के कारण भारत एल्यूमिनियम और स्क्रैप का डंपिंग केंद्र बन गया है। अमेरिका और चीन ने अपने हितों के अनुरूप कर ढांचा तैयार किया है। आयात पर अमेरिका 10 फीसदी का शुल्क लगाता है जबकि अमेरिका से आयातित एल्यूमिनियम पर चीन में 25 फीसदी का शुल्क लिया जाता है। आज जरूरत इस बात की है कि रिसाइकलिंग उद्योग को अधिक व्यवस्थित बनाएं और एल्यूमिनियम उत्पादों और स्क्रैप के आयात में कमी करें। इसके साथ आयात शुल्क में बढ़ोत्तरी करने की आवश्यकता है। गुणवत्ता, पर्यावरण और सुरक्षा के नजरिए से सख्त बीआईएस मानक तैयार किए जाने की जरूरत है ताकि गुणवत्ताविहीन आयात को हतोत्साहित किया जा सके।

वर्तमान में एल्यूमिनियम उत्पादन लागत का 15 से 17 फीसदी शुल्क लिया जाता है। एल्यूमिनियम का निर्यात बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य द्वारा लिए जाने वाले करों की दरों को अधिक युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है। नीति आयोग और खान मंत्रालय की अनुशंसा के मुताबिक एल्यूमिनियम उद्योग को कोर उद्योग के तौर पर वर्गीकृत कर और राष्ट्रीय एल्यूमिनियम नीति तैयार कर अनेक चुनौतियों से निपटा जा सकता है।

कैप्टिव पावर प्लांट वाले उद्योगों के लिए कोयले का आबंटन बड़ी चुनौती है। वर्तमान में सीपीपी के लिए मिलने वाले कोयले के लिए आईपीपी के मुकाबले 20 फीसदी अधिक कीमत चुकानी पड़ती है। कई बार सीपीपी को मिलने वाले कोयले की आपूर्ति पर अस्थायी रोक लगा दी जाती है। इसके कारण उत्पादन लागत में काफी बढ़ोत्तरी हो जाती है। ऑक्शन लिंकेज के लिए कोयला मंत्रालय के परिपत्र के अनुसार एल्यूमिनियम जैसे उद्योगों के लिए प्रीफरेंशियल कोल लिंकेज ऑक्शन और ब्लॉक आबंटन की नीति से इस समस्या से निजात मिल सकती है। इसके साथ ही पावर सेक्टर के लिए 75 फीसदी और नान पावर सेक्टर के लिए 25 फीसदी की दर से रैक के माध्यम से कोयले की आपूर्ति की जा सकती है।

कोयले की ढुलाई में रैक की कमी भी लागत बढ़ने की दिशा में बड़ा कारण है। नान पावर सेक्टर में कोयले की दरों में अतिरिक्त प्रीमियम न हो। यदि कोयले के परिवहन के लिए रैक उपलब्ध न हो तब परिवहन की प्रकृति रेलवे से सड़क मार्ग किए जाने पर भी अतिरिक्त प्रीमियम का प्रावधान समाप्त होना चाहिए। एल्यूमिनियम की ढुलाई के लिए डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के विकास तथा रैक का प्राथमिकता के साथ आबंटन सुनिश्चित हो। रेलवे के प्रीफरेंशियल ट्रैफिक ऑर्डर में एल्यूमिनियम उद्योग को ‘डी’ श्रेणी से ‘सी’ श्रेणी में वर्गीकृत किया जाना चाहिए।

श्री पति ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी को युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता है। देश के कुल उत्पादन का 75 फीसदी एल्यूमिनियम का उत्पादन करने वाले राज्य उड़ीसा में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी 30 पैसा प्रति किलोवॉट से बढ़कर 55 पैसा प्रति किलोवॉट के स्तर पर पहुंच गया है। इसे 30 पैसा प्रति किलोवॉट के मूल स्तर पर ले जाने की जरूरत है। सीपीसीबी के उत्सर्जन मानदंडों के अनुसार फ्लू गैस डीसल्फ्यूराइजेशन (एफजीडी) की स्थापना पर बड़ा निवेश होता है। ऐसे सीपीपी जो प्रचालन में हैं उन्हें सरकार एफजीडी की स्थापना के लिए क्लीन एनर्जी सेस के कोष में से सहयोग दे सकती है। एफजीडी की स्थापना के लिए आवश्यक उपकरणों के आयात शुल्क में छूट देकर भी लागत में कटौती की जा सकती है।

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नई दिल्ली

इरेडा ने विरासत का उत्सव मनाया: वरिष्ठ दिग्गजों ने उज्जवल भविष्य के लिए अपने विचार साझा किये।

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नई दिल्ली @ भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्‍था लिमिटेड (आईआरईडीए) ने 10 अप्रैल, 2024 को “सार्वजनिक क्षेत्र दिवस” के अवसर पर एक सभा की मेजबानी की। इस अवसर पर संगठन की विरासत का उत्सव मनाने और निरंतर सफलता की ओर आगे बढ़ने के भविष्यगत संकल्प से जुड़े एक प्रारूप को पेश करने के उद्देश्य से एक विशेष कार्यक्रम में संगठन के पूर्ववर्तियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम में पूर्व मुख्य प्रबंध निदेशक और निदेशकों सहित अधिकांश सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने संगठन की भविष्य में प्रगति के संदर्भ में अपने समृद्ध और मूल्यवान अनुभवों को साझा करने के लिए उत्साहपूर्ण रूप से भागीदारी की।इस अवसर पर उपस्थित सम्मानित दिग्गजों ने अपने अनुभवों को साझा करने और इरेडा की आगामी यात्रा को और समृद्ध बनाने के लिए इस महत्वपूर्ण मंच पर अपने मूल्यवान विचार प्रकट किए। पूर्व मुख्य प्रबंध निदेशक और निदेशकों ने इरेडा के तीव्र विकास पथ की सराहना करते हुए व्यावसायिक सफलता को और बढ़ावा देने एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों सहित अपने कार्यबल का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए प्रबंधन के समग्र दृष्टिकोण की भी प्रशंसा की।

आयोजन के महत्व पर अपने विचार रखते हुए, इरेडा के मुख्य प्रबंध निदेशक प्रदीप कुमार दास ने कहा कि यह बैठक अत्यधिक महत्व रखती है क्योंकि यह न केवल हमारे वरिष्ठ पूर्ववर्तियों और सेवानिवृत्त सहयोगियों के योगदान का सम्मान करती है बल्कि समावेशिता और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठजनों का अनुभव और उनकी अंतर्दृष्टि अमूल्य संपत्ति है जो अक्षय ऊर्जा विकास के गतिशील परिदृश्य में हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी। प्रदीप कुमार दास ने कहा कि हमारी विकास गाथा केवल संख्या और उपलब्धियों के बारे में ही नहीं है, यह उन लोगों के बारे में भी है जो हमारी सफलता का आधार रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने पूर्ववर्तियों की बुद्धिमत्ता और मार्गदर्शन के लिए आभारी हैं साथ ही उत्कृष्टता और सहयोग की समान भावना के साथ हम इरेडा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तत्पर हैं।इस विशेष अवसर पर मुख्य आकर्षण के तौर पर एक हास्य कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया। हास्य कवि सम्मेलन का उपस्थित जनसमूह ने पूर्ण आनंद उठाया और इससे उत्सव के क्षणों को और भी उत्कृष्ट और विनोदपूर्ण बनाया गया। कवि सम्मेलन में सुश्री मनीषा शुक्ला, चिराग जैन और सुंदर कटारिया की कविताओं के माध्यम से दिए गए गहन संदेशों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित यह शानदार कार्यक्रम अपने कार्यबल के बीच समुदाय और निरंतरता की भावना को बढ़ावा देने की इरेडा की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। एक व्यक्ति मंच पर कुर्सियों पर बैठे लोगों के साथ बोल रहा है, विवरण स्वचालित रूप से उत्पन्न होता है इस कार्यक्रम में वित्त निदेशक डॉ. बिजय कुमार मोहंती, स्वतंत्र निदेशक राम निशाल निषाद, मुख्य सतर्कता अधिकारी अजय कुमार साहनी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। शाखा कार्यालयों में कार्यरत इरेडा के अन्य अधिकारियों ने भी वर्चुअल मोड में इस कार्यक्रम में अपनी भागीदारी की।

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एसईसीएल सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा के मुख्य आतिथ्य में आईआईएम रायपुर के कार्यकारी पीजी प्रोग्राम के चौथे बैच का हुआ शुभारंभ

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एसईसीएल सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा द्वारा आज आईआईएम रायपुर के प्रबंधन में कार्यकारी स्नातकोत्तर कार्यक्रम (ePGP) के चौथे बैच का उद्घाटन किया गया। उदघाटन कार्यक्रम का आयोजन आज आईआईएम रायपुर परिसर में MADAI ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में एसईसीएल डॉ. प्रेम सागर मिश्रा उपस्थित रहे।

इस अवसर पर डॉ मिश्रा ने अपने सम्बोधन में कहा की हमें चुनौतियों को स्वीकार कर, उनसे सीखकर आगे बढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि चुनौतियों का सामना करने और खुद को लगातार बेहतर करने से व्यक्ति को खुद को निखारने एवं अपने व्यक्तित्व को और मजबूत बनाने में मदद मिलती है। उन्होंने सभी को एक-दूसरे के साथ परस्पर सद्भावना एवं प्रेमपूर्ण व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित किया। वर्क-लाइफ बैलेंस के विषय को संबोधित करते हुए उन्होने इस बात पर जोर दिया कि हर व्यक्ति कि इसकी अपनी-अपनी परिभाषा होती और इसे केवल एक ही नज़रिये से नहीं देखा जा सकता। उन्होंने रामायण और महाभारत के कुछ उदाहरणों का ज़िक्र करते हुए इन पौराणिक कथाओं और समकालीन व्यावसायिक अनुभवों के बीच समानता पर भी चर्चा की।

ईपीजीपी कार्यक्रम के चौथे बैच में विविध पृष्ठभूमि और भौगोलिक स्थानों से कुल 233 छात्र हैं। आईआईएम रायपुर के प्रबंधन में कार्यकारी स्नातकोत्तर कार्यक्रम (ईपीजीपी) कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रतिभागियों को विभिन्न प्रबंधन विषयों में एक ठोस आधार देकर प्रबंधन में एक उन्नत कैरियर के लिए तैयार करना है जो प्रतिस्पर्धा के इस युग में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए आवश्यक हैं। आईआईएम रायपुर, अपने शीर्ष स्तर के फ़ैकल्टी सदस्यों, आधुनिक पाठ्यक्रम और विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के साथ, सामाजिक रूप से जागरूक बिजनेस लीडर्स को विकसित करने और प्रशिक्षित करने के लिए पूरे देश में जाना जाता है।

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सेल ने वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही में 4339 करोड़ रुपये के समेकित शुद्ध लाभ की घोषणा की

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नई दिल्ली : स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने मौजूदा वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2021-22) की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर, 2021) और पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर – 2021) के लिए कंपनी के वित्तीय परिणाम आज घोषित किए। वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही के दौरान सेल के परफ़ार्मेंस की मुख्य विशेषताएं:- कच्चे इस्पात का उत्पादन : 44.68 लाख टन, विक्रेय इस्पात की बिक्री: 42.80 लाख टन, अब तक की सर्वश्रेष्ठ तिमाही एबिटडा (EBITDA), कर-पूर्व लाभ (PBT) और कर-पश्चात लाभ (PAT), कंपनी ने वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही के दौरान अपनी उधारी में रु.12,872 करोड़ की कमी है। कंपनी की सकल उधारी 31.03.2021 को रु. 35,350 करोड़ थी, जो 30.09.2021 को घटकर रु. 22,478 करोड़ रह गई। कंपनी के बोर्ड ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए शेयरधारकों को 4 रुपये प्रति शेयर के अंतरिम लाभांश को मंजूरी दी है।

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